Sunday 23 August 2009

सदाबहार गढ़वाली और कुमौनी गीतों की झलक

प्यारे दोस्तों यहं पर मैंने अपने उन दोस्तों की दास्तान के बारे मैं दो सनद लिखे है , जो की अपने सब कुछ त्याग देते हैं अपने और अपने परिवार के लिए , और चले जाते है दूर परदेश ,

दुरु पर्देशु छौहोंमैं !!! इस सब्द को सुनकर , हर उस परदेसी का रोम रोम खड़ा हो जाता है , जिसने इस पापी पेट के लिए , अपने ,घर बार सब कुछ , अपने माँ बाप भाई बहिन और गाँव गलियों और देश को त्याग रखा है ,और कुछ पल ऐसे होते हैं कि सब कुछ भूल जाने के बाद भी अपनों और अपने गाँव गलियों ,और माँ बाप भाई बहिनों कि याद आ ही जाती है और शादी होने के बाद भी कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो अपनी पतनी को शाथ नहीं ले जा सकते हैं , जानकर सायद कोई भी नही ले जाते हैं , आदमी कि अपनी अपनी परेसानी होती ,जिससे उसको , उसको अपने बीबी बच्चों को घर छोड कर परदेश जाना पड़ता है ,क्यूं ये हम जैसे लोगों के शाथ ही होता है
ये विशेष कर गढ़वाल उत्तराँचल ले लोगों मैं ज्यादा देखने को मिलता है , चलो यही सायद हमारी किस्मत है और ये पापी पेट भी तो है जो कि इंसान को सब कुछ त्याग करवाता है , चलो कोई बात नहीं है हौंसला बुलंद होना कहिये , एक दिन खुशियाँ जरूर हमारे कदम चूमेगी ,
श्री नरेंदर सिंह नेगी जी ने ये जो गाना गया है सायद हम लोगों के ऊपर सही लागू होता है , उसी गाने की ये पंक्तियाँ मैं यहाँ लिखा रहा हूँ

दुरु पर्देसू छूँ , उम्मा तवे तैं मेरा सुऊं , हे भूली न जेई, चिट्ठी , देणी रई
राजी खुसी छों मैं यख , तू भी राजी रही तख
गौं गोलू मा चिट्ठी खोली , मेरी सेवा सौंली बोली
हे भूली न जेई , चिट्ठी देणी रैइ
घाम पाणी मा न रै तू
याखुली डंडियों न जै तू
दुखयारी न हवे जै कखी ,सरिल कु ख्याल रखी, खानी पैनी खाई
हे भूली न जेई , चिट्ठी देणी रैइ
हुंदा जू पांखुर मैं मा , उड्डी औंदु फुर तवे मा
बीराना देस की बात , क्यच उम्मा मेरा हात , हे भूली न जेई , चिट्टी देणी रैइ
दुरु पर्देसू छुओं , उम्मा तवे तै मेरा सों , हे भूली न जेई , चिट्ठी देणी रैइ , चिट्ठी देणी रैइ

1 comment:

  1. Jai Badri Kedarnath -2
    Gangotri jai jai, Jamunotri jai jai -2

    Hey baba Kedar tero
    Jan ucho sthann, hooo
    Taney ucho raakhi
    Yeh desa ku maan

    Jugg jugg batin ya
    Duniya re baba
    Tyaara
    Darshanu ku aani cha
    Dukh vipda tey maa chodi ki
    Sukh ukhri li jaani cha
    Hey baba, sukh ukhri li jaani cha
    Hey Sambhuuuu
    Jo jash de bhagwaan
    Jo jash de bhagwaan
    Akhand teri jyot jani Badri Vishala
    Tane rakhi akhand
    Yeh mulk yeh Himala

    Harijanu ko bhed bhau na
    Thakur baahman jaat paat
    Aas aulaad aur des ka khatir
    Hita bhai behno saath saath
    Hita bhai behno saath saath
    Hey Naarain, sabhi teri chaa santaan
    Sabhi teri chan santaan
    Jai Badri Kedarnath
    Gangotri jai jai
    Jamunotri jai jai

    ReplyDelete