Sunday 23 August 2009

हम उत्तरांचली होकर भी क्यों अपनी भाषा का प्रयोग नहीं करते ?

मेरे प्यारे साथियों ये आप सभी लोग जानते हैं कि:-हम लोग उत्तरांचली होकर भी हम अपनी भाषा मैं बात नहीं करते हैं और न ही उत्तरांचली भाषा का प्रयोग करते हैं!

साथियों भारत विभिन्नताओ का देश है यहाँ करीब -२ हर राज्य की भाषा एव संकृति अलग-२ है फिर भी भारत एक है ! आमतौर से हम देखते जब भी किसी भी राज्य के लोग देश की किसी भी हिस्से भी मिलते है वे अपनी ही भाषा में बात करने में सरम महसूश करते है !

परन्तु उत्तराखंडईयो मे यह कम देखा गया है लोग अपनी भाषा जानने के बाद भी आपस अपनी भाषा मे बात नहीं करते है !यहाँ तक को उत्तराखंडी कार्यकर्म में भी अपनी भाषा नहीं बोली जाती है ! हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है हमे इसका सम्मान करना चाहिए !परन्तु क्षेत्रीय भाषाओ का भी अपना महत्व है !

उत्तराखंड में देखा गया वोट मागने के लिए जो राजनीतिक पार्टियों के नेता भी अपनी भाषा में भाषण नहीं देते है ! और न ही कभी अपने भाषा का प्रयोग करते हैं और अगर देखा जाय तो भारत के अन्य राज्यों मैं सभी सरकारी काम काज भी उस राज्य मैं बोली जाने वाली भाषा मैं ही होते हैं!लेकिन हमारे उत्तराखंड मैं ऐसा नहीं है !आप सभी साथियों से निवेदन है कि आप अपने अपने विचार रखें

अपनी बोली बोलने में शरम करने या झिझकने की कोई जरूरत नही... अगर आपको नही भी आती है तो कोशिश करें. गढवाली या कुमाऊंनी हिन्दी से काफी हद तक समान है.यह सही बात है कि उत्तराखण्ड की नई पीढी, खासकर शहरों की युवा पीढी अपनी बोली भाषा से दूर होती जा रही है लेकिन ऐसा नही है कि हमारी भाषा खत्म होती जा रही है... इन्टरनेट के माध्यम से जुङ रहे सैकङों लोग गढवाली-कुमांउनी सीखने का प्रयास कर रहे हैं.

परिवार का माहौल भाषा ज्ञान के लिये सबसे महत्वपूर्ण है, जिस घर में अभिवावक ही अपनी बोली नही बोलेंगे, या बच्चों को सिखाने की कोशिश नही करेंगे उस घर के बच्चे कैसे अपनी दुदबोली सीख पायेंगे?"कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी" वाली बात भी कुछ हद तक सही है.

लेकिन काली कुमाऊं के किसी गांव में रहने वाला आदमी अपने सोर (पिथौरागढ) या गंगोलीहाट के रिश्तेदार से तो हिन्दी में बात नही करता, जबकि तीनों जगह की बोली में कई विभिन्नतायें हैं. तो कोशिश करने पर हम किसी भी उत्तराखण्डी से अपनी ही बोली में बात जरूर कर सकते हैं. तो फिर देर किस बात की है, बेहिचक गढवाली-कुमांउनी बोली का प्रयोग करिये !

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