Wednesday 9 December 2009

धरासू टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड

धरासू मोड़ पर भागीरथी के साथ-साथ निर्मित सड़क, जिसके दोनों तरफ चीड़, देवदार और रोडोडेन्ड्रोन्स के पेड़ हैं, दो भागों में बंटती है। यहां खुरमोला भागीरथी से मिलती है और उत्तरकाशी (29 किलोमीटर दूर) और गंगोत्री (127 किलोमीटर दूर) की सड़क भागीरथी के साथ-साथ आगे बढ़ती जाती है। यमुनोत्री जाने वाली सड़क बाएं मुड़ कर खुरमोला घाटी की तरफ चली जाती है।
धरासू से हिमाच्छादित पर्वतों और इर्द-गिर्द स्थित गहरी घाटी का शानदार नजारा देखा जा सकता है। नई टिहरी के बाद उत्तरकाशी के पहले धरासू ही अच्छी-खासी जनसंख्या वाला शहर है। शहर दो भागों में बंटा हुआ है। जैसे ही आप धरासू में प्रवेश करते हैं आपको कई होटल, एसटीडी बूथ और एक पुलिस स्टेशन देखने देखने को मिलेंगे।
इसके आगे पुल इस एरिया को मेन मार्केट से जोड़ता है, जो धरासू का केन्द्र-स्थल है। इस शहर का सब कुछ (जैसाकि उत्तराखण्ड के अधिकतर शहरों में है) मेन मार्केट से जुड़ा हुआ है। बैंक, दुकानें, विद्यालय, होटल, रेस्तरां, सब्जी विक्रेता सभी मेन मार्केट में अवस्थित हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि मानो प्रत्येक दुकान या बिल्डिंग अपने स्वयं के स्थान के लिए मुकाबला कर रहा हो।

धरासू से बड़कोट को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण 1960 के दशक में किया गया था और स्पष्ट तौर पर गलती से ऐसा हो गया था। योजना तो धरासू और भटवारी को जोड़ने की बनी थी लेकिन, कागजी काम में गलती हो जाने की वजह से धरासू बड़कोट से जुड़ गया।

आप 2,240 मी. ऊंचाई पर स्थित निकटवर्ती राड़ीघाटी खाल घूमने के लिए जा सकते हैं। इसकी चढ़ाई अत्यन्त सुन्दर है और सीढ़ीदार खेतों और वनों के टेढ़े-मेढ़े रास्तों से होकर गुजरती है। चोटी पर एक छोटा सा मंदिर है - जो आपको एक सदी पीछे ले जाता है - और चाय का एक स्टॉल है।