Sunday 4 September 2011

देवभूमि उत्तराखंड,पैदल चलकर प्रकीर्ति का आन्नद लें


 
उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता। इस जगह को देखने के बाद स्वर्ग का प्रत्यक्ष अनुभव किया जा सकता है।

जो लोग धार्मिक आस्था रखते हैं, उनके लिए तो यह जगह स्वर्ग है ही, लेकिन जो लोग प्रकृति में अपनी आस्था रखते हैं, उनके लिए भी यह स्वर्ग से कम नहीं। अगर आपका मन अपने घर में नल के नीचे बैठकर या बाथरूम टब में नहा-नहाकर खिन्न हो गया हो तो निश्चित ही आपको हरिद्वार में किसी ऐसे आश्रम में जाकर रुकना चाहिए, जहां से रोज सुबह आप गंगाजी की सप्तधारा में जाकर स्नान कर सकें।

हरिद्वार और ऋषिकेश में जहां गली-गली में और सड़क-सड़क पर अनोखे मंदिर बने हुए हैं, वहीं आसपास घूमने निकल जाने पर आपको हैरतअंगेज प्राकृतिक नजारे देखने को मिल सकते हैं। देहरादून जहां आपको प्रकृति की गोद में बसा हुआ एक शहर नजर आएगा, वहीं मसूरी आपको ऐसी ऊंचाई का अहसास कराएगा, जहां से खड़े होकर आप हिमालय से भी आंखें मिला सकते हैं।

यही सब सोचकर मैंने हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून और मसूरी जाने की योजना बनाई। यह एक लंबा कार्यक्रम था, जिसमें मैं देवभूमि की वायु को अपने फेफड़ों में भरकर लंबे समय तक महसूस करना चाहता था।

हरिद्वार पहुंचने पर मैं वहां शांतिकुंज में ठहर गया। वहां से रोज सवेरे गंगाजी की सप्तधारा में स्नान करने का अनुभव स्वर्गिक अनुभूति को प्राप्त करने जैसा ही था। जब शिवालिक की पहाड़ियों के एक हिस्से नील पर्वत पर स्थित चंडीदेवी मंदिर के रास्ते पर मैं चढ़ा तो वहां भरपूर वन्यजीवन देखने को मिला। यह जगह राजाजी राष्ट्रीय उद्यान का ही एक हिस्सा है, जो उत्तराखंड की देखने लायक जगहों में शुमार है।

अगर आपकी किस्मत अच्छी रही तो इस पहाड़ी रास्ते पर कई बार हाथियों से भी सामना हो जाता है। एक अच्छी दूरबीन आपको हरिद्वार के नील धारा पक्षी अभयारण्य में गंगाजी की धारा के साथ-साथ बर्ड वॉचिंग का मजा भी दिला सकती है। ऋषिकेश के आसपास भी बहुत घना और शानदार जंगल है।

हरिद्वार से ऋषिकेश के रास्ते में राजाजी राष्ट्रीय उद्यान का शो-केस कहे जाने वाला चिल्ला अभयारण्य पड़ता है। यहां वो सब कुछ देखने को मिलता है, जो आप किसी वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी से अपेक्षा रखते हैं। भरी-पूरी नदियां, झूमते हुए जंगल और उनमें दौड़ते-भागते तरह-तरह के वन्यजीव। जैसे-जैसे आप ऋषिकेश की ओर बढ़ते हैं, वैसे-वैसे हिमालय की खुशबू आपको एक खूबसूरत जगह पर होने का अहसास कराने लगती है। इस जगह भी मंदिरों के अलावा बहुत कुछ देखने लायक है।

आप सिर्फ आसपास पैदल सफर पर निकल पड़िए। लक्ष्मण और राम झूले से आगे जाने पर गंगा नदी पर बना बैराज जैसे नदी और आकाश को दूर तक मिलाता हुआ-सा प्रतीत होता है। यहां से 32 किमी दूर पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर का रास्ता भी किसी जन्नत की ओर जाता हुआ-सा लगता है। वहां जाते हुए लगता है, जैसे बादल आपके पैरों में लोटना चाह रहे हों।

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून को तो मैंने सिर्फ एक रुकने भर की जगह की तरह लिया। हरी-भरी राजधानी से आप सीधे ही मसूरी की तरफ कूच कर जाएं, क्योंकि वहां कई अद्भुत नजारे आपका इंतजार करते हुए मिलेंगे। मसूरी के रास्ते पर कई लोगों ने सड़क के बीचोंबीच बाघों तक को खड़ा देखा है। वहां के प्राकृतिक झरने, घने जंगल और दूर दिखते गंगोत्री-यमुनोत्री के पर्वत आपको दुनिया के शीर्ष पर होने का अहसास कराएंगे।

इन सब जगहों की यादें लिए जब आप अपने घर लौंटेंगे तो आपको लंबे समय तक यही महसूस होगा कि आप स्वर्ग की यात्रा करके आए हैं। उस जगह की, जो वाकई देवभूमि है।

आभार दैनिक भाष्कर


M S JAKHI 

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