प्रभागीय वनाधिकारी का मानना है कि वन्य जीवों का भी पूरा एक चक्र है जो एक दूसरे पर आधारित हैं। तेंदुए या बाघ आदि का भोजन जंगलों के हिरन, घुरड़, काकड़, खरगोश जैसे जानवर होते हैं। जंगलों में लगातार जलस्रोत सूखने के कारण चारा खत्म हो रहा है। भोजन की तलाश में जंगली पशु भटकते हैं तो आबादी की ओर पहुंच जाते हैं। एक कारण बूढ़े होते तेंदुए भी सहज शिकार की तलाश करते हैं, जिसके चलते इनका रुख भी आबादी की ओर हो रहा है।
सुअरों की बढ़ती संख्या, फसलों की नुकसान का बड़ा कारण है। उनका कहना है कि इसके लिए वन विभाग कारगर योजना बनाने की तैयारी कर रहा है। पिछले दो-तीन वर्षो की घटनाओं पर नजर डालें तो अकेले चौखुटिया व चमोली गढ़वाल से लगे क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक लोगों के तेंदुए ने मार डाला। धामस में युवक को निवाला बना लिया। द्वाराहाट के समीप मिरई में भालू के हमले से महिला की मौत हो गई। जंगली जानवरों की हमले की घटनाएं तो सैकड़ों की संख्या में हैं। पूरे जिले में नजर डालें तो बाघ के हमले से सैकड़ों की संख्या में पालते पशु मारे गए हैं। उसमें बिन्सर सेंचुरी क्षेत्र में घटनाएं अधिक हुई हैं। बहरहाल पूरे जिले में लगातार आबादी की ओर जंगली जानवरों क रुख बड़े खतरे का संकेत दे रहे हैं।
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