Tuesday, 23 November 2010
अस्तित्व खो रही टिहरी रियासत की धरोहरें
कभी टिहरी रियासत की शान समझी जाने वाली धरोहरें अब अस्तित्व के संकट से जूझ रही हैं। गढ़वाल के इतिहास के इन झरोखों पर अब उपेक्षा की परत चढ़ती जा रही है। परगनों के पंचायत स्थलों से लेकर मंदिरों तक को ना तो पुरातत्व विभाग ने अपनाया है और ना ही पर्यटन विभाग इनमें छिपी संभावनाओं को समझ सका है।
उत्तरकाशी जिले में टिहरी रियासत के समय की धरोहरें बिखरी पड़ी हैं। इनमें राजगढ़ी स्थित राजा की कोठी प्रमुख है। राजशाही के दौरान रवांई परगने की बैठकें यहीं हुआ करती थीं। हवेलीनुमा इस इमारत की विशेष बनावट के चलते अपना अलग आकर्षण रहा, लेकिन अब यह पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुकी है।
उपला टकनौर व बाड़ाहाट परगने में भी पंचायतें होती थी और राजा या उनके प्रतिनिधि उनमें शामिल हुआ करते थे। उपला टकनौर की पंचायत हर्षिल में हुआ करती थी। लेकिन अब ये पंचायत स्थल भी अपना अस्तित्व खो चुके हैं। गंगोत्री व यमुनोत्री मंदिर सहित जिले के सभी पौराणिक मंदिरों भी टिहरी रियासत के संरक्षण में थे।
जिनमें उत्तरकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर, भैरव मंदिर, गोपेश्वर मंदिर, कालेश्वर मंदिर गंगनानी स्थित त्रिवेणी संगम आदि पौराणिक धरोहरें शामिल हैं। ये सभी रियासत की टेंपल बोर्ड के संरक्षण में है जो अभी भी अस्तित्व में हैं। लेकिन दोनों धामों को छोड़कर अन्य सभी धरोहरों के संरक्षण की दिशा में कोई कोशिश नहीं की गई। इन धरोहरों की देखरेख के लिए जो लोग तैनात किए गए थे। वे ही अपने स्रोतों से इनका रखरखाव करते रहे।
टेंपल बोर्ड की ओर से इस काम के लिये मिलने वाली धनराशि ऊंट के मुंह में जीरे से भी कम साबित होती है। जिले में इन पौराणिक धरोहरों पर पुरातत्व विभाग की भी नजरे इनायत नहीं हुई है। वहीं पर्यटकों के लिए आकर्षण की संभावनाएं समेटने के बावजूद पर्यटन विभाग अपनी कार्ययोजना में इन्हें शामिल नहीं कर सका है।
इनमें से कुछ तो इतनी जर्जर हो गई हैं कि आने वाले दिनों में उनका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। इतिहासकार उमा रमण सेमवाल बताते हैं कि रियासत काल में धरोहरों को इस तरह से तैयार किया गया था कि वे भविष्य में भी उपयोगी साबित हों। अनेक जगहों पर तो इनका उपयोग तो किया गया लेकिन रखरखाव नहीं हो सका इसीलिए ये नष्ट होने की कगार पर पहुंची हैं।
Sunday, 21 November 2010
उत्तराखंडी खुदेड गीत Uttarakhandi Khuded Geet
फोजी ललित मोहन ने भी घुघुती पर ये गाना बहुत सुरीले स्वर में अपनी एल्बम मीठी बोली में गाया है !
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा !
तेरी घुर-घुर होली,कुर्सी हानियों मा, टप-टप आंसू होली इजू अंखियों मा
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा !
बिराणा मुलुक इजा तंख बोलुन्ला,ना रो मेरी इजू में लौटी ओला
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा !
नानी बै तू नानि कनी तू मैत बुलाये,नि बुलाली जब इजू तूवाग भुरिये
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा !
सोची-सोची याद ओंछी,रोई-रोई आंसू,इजू पहाड़ छोड़ी परदेश गेयुं !
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा !
यम यस जाखी
रामी बौराणी, पहाङी समाज में नारी की भूमिका पुरुषों से अधिक महत्वपूर्ण है. खेतों में कमरतोङ मेहनत करना, जंगलों में पशुओं के चारे के लिये भटकना और घर में बच्चों का पालन पोषन करना लगभग हर पहाङी स्त्री के जीवनचक्र में शामिल है.
बाटा गोड़ाई क्या तेरो नौ छ,
बोल बौराणी कख तेरु गौं छ.
बटोई जोगी न पूछ मैकु,
केकु पूछ्दी क्या चैंदु त्वैकू.
रौतु की बेटी छौं रामी नौं छ,
सेटु की छौं पाली गौं छ.
मेरा स्वामी न मैं छोड्यों पर,
निर्दयी ह्वैगिन मैंई फर.
ज्यूंरा का घर नि मैकु,
स्वामी विछोह होयुं छ जैंकू.
रामी तीन स्वामी याद ऐगि,
हाथ कुटली छूटण लैगि.
"चल बौराणी छैलु बैठी जौला,
अपणी खैरि वखिमु लौला".
"जा जोगी अपणा बाठ लाग,
मेरा शरील न लगौ आग.
जोगी ह्वैक भी आंखी नि खुली,
छैलु बैठली तेरी दीदी भूली.
बौराणी गाळी नि देणी भौत,
कख रंदु गौं कु सप्रणौ रौत.
जोगिन गौं माँ अलेक लाई,
भूकू छौं भोजन देवा माई.
बुडड़ी माई तैं दया ऐगी,
खेतु सी ब्वारी बुलौण लैगि.
घौर औ ब्वारी तू झट्ट कैक,
घौर मू भूकू छ साधू एक.
सासू जी वैकु बुलाई रौल,
ये जोगी लगिगे आज बौळ.
ये जोगी कु नि पकौंदु रोटी,
गाळी दिन्यन ये खोटी खोटी.
ये पापी जोगी कु आराम निछ,
केकु तैं आई हमारा बीच.
अपणी ब्वारी समझोऊ माई,
भूकू छौं भात बणावा जाई.
रामी रूसाड़ु सुल्गौण लैगि,
स्वामी की याद तैं औण लैगि.
माळु का पात मा धरि भात,
मैं तेरा भात नि लंदु हाथ.
रामी की स्वामी की थाळी मांज,
भात दे रोटी मैं खौलू आज.
खांदी छैं जोगी त खाई ल्हेदि,
नि खान्दू जोगी त जाई ल्हेदि.
बतेरा जोगी झोलियों ल्ह्यीक,
रोजाना घूमिक नि पौन्दा भीक.
जोगिन आख़िर भेद खोली,
बुढड़ी माई से यनु बोली.
मैं छौं माता तुमारु जायो,
आज नौ साल से घर आयो.
बेटा को माता भेटण लैगि,
रामी का मन दुविधा ह्वैगी.
सेयुं का सेर अब बीजी गैगी,
गात को खारू अब धोण लैगि.
पतिवर्ता नारी विस्मय ह्वैगी,
स्वामी का चरणु मा पड़ी गैगी.
खुद,बहुत सुन्दर सुरीले गीतों की एल्बम हैं जिसमें नेगी और अनुराधा निराला जी ने अपनी सुरीली आवाज में गाये हुए इस एल्बम के गीतों को बार बार सुनाने को मन करता है !
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा !
तेरी घुर-घुर होली,कुर्सी हानियों मा, टप-टप आंसू होली इजू अंखियों मा
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा !
बिराणा मुलुक इजा तंख बोलुन्ला,ना रो मेरी इजू में लौटी ओला
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा !
नानी बै तू नानि कनी तू मैत बुलाये,नि बुलाली जब इजू तूवाग भुरिये
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा !
सोची-सोची याद ओंछी,रोई-रोई आंसू,इजू पहाड़ छोड़ी परदेश गेयुं !
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा
ना बासा घुघुती रूख मा,इजू हनेली दुख मा !
यम यस जाखी
रामी बौराणी, पहाङी समाज में नारी की भूमिका पुरुषों से अधिक महत्वपूर्ण है. खेतों में कमरतोङ मेहनत करना, जंगलों में पशुओं के चारे के लिये भटकना और घर में बच्चों का पालन पोषन करना लगभग हर पहाङी स्त्री के जीवनचक्र में शामिल है.
बाटा गोड़ाई क्या तेरो नौ छ,
बोल बौराणी कख तेरु गौं छ.
बटोई जोगी न पूछ मैकु,
केकु पूछ्दी क्या चैंदु त्वैकू.
रौतु की बेटी छौं रामी नौं छ,
सेटु की छौं पाली गौं छ.
मेरा स्वामी न मैं छोड्यों पर,
निर्दयी ह्वैगिन मैंई फर.
ज्यूंरा का घर नि मैकु,
स्वामी विछोह होयुं छ जैंकू.
रामी तीन स्वामी याद ऐगि,
हाथ कुटली छूटण लैगि.
"चल बौराणी छैलु बैठी जौला,
अपणी खैरि वखिमु लौला".
"जा जोगी अपणा बाठ लाग,
मेरा शरील न लगौ आग.
जोगी ह्वैक भी आंखी नि खुली,
छैलु बैठली तेरी दीदी भूली.
बौराणी गाळी नि देणी भौत,
कख रंदु गौं कु सप्रणौ रौत.
जोगिन गौं माँ अलेक लाई,
भूकू छौं भोजन देवा माई.
बुडड़ी माई तैं दया ऐगी,
खेतु सी ब्वारी बुलौण लैगि.
घौर औ ब्वारी तू झट्ट कैक,
घौर मू भूकू छ साधू एक.
सासू जी वैकु बुलाई रौल,
ये जोगी लगिगे आज बौळ.
ये जोगी कु नि पकौंदु रोटी,
गाळी दिन्यन ये खोटी खोटी.
ये पापी जोगी कु आराम निछ,
केकु तैं आई हमारा बीच.
अपणी ब्वारी समझोऊ माई,
भूकू छौं भात बणावा जाई.
रामी रूसाड़ु सुल्गौण लैगि,
स्वामी की याद तैं औण लैगि.
माळु का पात मा धरि भात,
मैं तेरा भात नि लंदु हाथ.
रामी की स्वामी की थाळी मांज,
भात दे रोटी मैं खौलू आज.
खांदी छैं जोगी त खाई ल्हेदि,
नि खान्दू जोगी त जाई ल्हेदि.
बतेरा जोगी झोलियों ल्ह्यीक,
रोजाना घूमिक नि पौन्दा भीक.
जोगिन आख़िर भेद खोली,
बुढड़ी माई से यनु बोली.
मैं छौं माता तुमारु जायो,
आज नौ साल से घर आयो.
बेटा को माता भेटण लैगि,
रामी का मन दुविधा ह्वैगी.
सेयुं का सेर अब बीजी गैगी,
गात को खारू अब धोण लैगि.
पतिवर्ता नारी विस्मय ह्वैगी,
स्वामी का चरणु मा पड़ी गैगी.
खुद,बहुत सुन्दर सुरीले गीतों की एल्बम हैं जिसमें नेगी और अनुराधा निराला जी ने अपनी सुरीली आवाज में गाये हुए इस एल्बम के गीतों को बार बार सुनाने को मन करता है !
से गैनी,से गैनी डांडी-कांथी खाल-धार से गैनी
बौन-पंछी गौं-गुठयार,सी गैनी
से गैनी,से गैनी
मी याखुली बिजियुं छों,याखुली-याखुली बिजियों छों,तुमारी खुद मा
तुमारी खुद मा,तुमारी खुद मा हो हो तुमारी खुद मा
पौन्खुर दिखेंन देखि चखुला से गिनी,
देखि तौन सेगी डाली मौन हवेगिनी
सेगी होला तुमु भी गेल्या निंद सुध-बुध मा
मी याखुली बिजियुं छों,याखुली-याखुली बिजियों छों,तुमारी खुद मा
तुमारी खुद मा
से गैनी,से गैनी डांडी-कांथी खाल -धार से गैनी
मेरा अँधेरा का द्गडया दिवा बाती मूंझी गैनी
दिन मा था जू सेंयाँ दुःख राती बीजी गैनी
दुःख देन्दारु विधाता भी सेगी निंद मा,मी याखुली बिजियुं छों,याखुली-याखुली बिजियों छों,तुमारी खुद मा
मी याखुली बिजियुं छों,याखुली-याखुली बिजियों छों,तुमारी खुद मा
तुमारी खुद मा
सोन भादों बीती बरखा पाणी चौलिगे
ह्यून ह्युंद गौली पिडा सबुकी बोड़ीगे
मेरी पिडा बारामास दुःख-दुःख मा,मी याखुली बिजियुं छों,याखुली-याखुली बिजियों छों,तुमारी खुद मा
,तुमारी खुद मा से गैनी,से गैनी डांडी-कांथी खाल -धार से गैनी
डौर लगदी जब कखी निन्यारु बासदु
सारु मिलदु जब कखी क्वी दानु खासदु
अब ता सी बिचारा भी सगीन नींद मा,मी याखुली बिजियुं छों,याखुली-याखुली बिजियों छों,तुमारी खुद मा
मी याखुली बिजियुं छों,याखुली-याखुली बिजियों छों,तुमारी खुद मा
याखुली-याखुली बिजियों छों,तुमारी खुद मा
,तुमारी खुद मा
यम यस जाखी
साहब सिंह रमोला और आकांक्षा रमोला की फुर्क्याली घाघरी का ये गीत उत्तराखंड के पहाड़ों मनाई जाने वाली बग्वाली (दीपावली ) के झूमने और और गाने की एक झलक है !
छुमना थाकुली कु थाच बल होंसिया,गेल्या बल थाकुली कु थाच बल होंसिया
छुमना बाग्वाली की रात बल होंसिया छोरी भालू देखौंन नाच बल होंसिया
हाँ सोभना माटा घसी भीत भलु रसिया,गेली माटा घसी भीत भलु रसिया
सोभना धरी हतियों मा हाथ बल रसिया,गेली लगौ तन्दयों गीत भलु रसिया
ऐगे बग्वाली कातिक मैना छो छम नाचा छम ठुमा ठुम
छुमना गाज लई गालियों भलु होंसिया,गेल्या गाज लई भलु होंसिया
छुमना उजालू खातेणु भलु होंसिया छोरी गौं,चौक,दिनद्यालीयों भलु होंसिया
सोभना पाणि तोड़ी बोला भलु रसिया,गेल्या पाणि तोड़ी भलु रसिया
सोभना स्वाला,पकोड़ा भलु रसिया,गेल्या खैल्युला पैणा भलु रसिया
खेला खेला सारा सर हे खेला खेला सर सर
छुमना पाणि की परात भलु होंसिया.छोरी पाणि की परात भलु होंसिया
छुमना धरती मा लगनि भलु होंसिया छोरी गैनुं सी बरात भलु होंसिया
सोभना सोना लाइ भलु टांका भलु रसिया,गेल्या सोना लाई टांका भलु रसिया
सोभना कुत्ग्याली सी लांदा भलु रसिया,गेल्या पल्या गौं का रांका भलु रसिया
ऐगे बग्वाली कातिक मैना छो छम नाचा छम ठुमा ठुम
खेला खेला सारा सर हे खेला खेला सर सर
छुमना सर्काल्लाई बांद भलु होंसिया,छोरी सर्कलाई बांद भलु होंसिया
छुमना रस्याण ऐ गैयी भलु होंसिया,छोरी आज नाची खेली भलु होंसिया
सोभना ग्यों की बटी डाली भलु रसिया,गेल्या ग्यों की बटी डाली भलु रसिया
सोभना आज की बग्वाल भलु रसिया,गेल्या याद ओणी राली भलु रसिया
छुमना सर्काल्लाई बांद भलु होंसिया,छोरी सर्कलाई बांद भलु होंसिया
छुमना रस्याण ऐ गैयी भलु होंसिया,छोरी आज नाची खेली भलु होंसिया
यम यस सिंह जाखी
नेगी जी की सलान्याँ सयाली और गंगाडया भिन्ना,नेगी और मंजू सुन्द्रियाल की सुरीले स्वरों मैं सयाली जीजा का ये गीत
बाटू च सम्यार गंगाडया भिन्ना सर,बाटू च सम्यार गंगाडया भिन्ना सर
केक आयूं होलू मेरा मुलुक सर,मेलु न त्युहार गंगाडया भिन्ना सर!!
न्यूतू न रैबार गंगाडया भिन्ना सर, न्यूतू न रैबार गंगाडया भिन्ना सर
गयुं वाडु बयेंगे सलान्य सयाली सर,गयुं वाडु बयेंगे सलान्य सयाली सर !
बिनसिरी का सेणु मा देखिक तोई मैं सी रहेगी सलान्याँ सयाली सर !!
मैं सी रहेगी सलान्याँ सयाली स,मैं सी रहेगी सलान्याँ सयाली सर
भारी खुद लेगे सलान्याँ सयाली सर,भारी खुद लेगे सलान्याँ सयाली सर
लिपि चुलखांदी लिपि चुलखांदी गंगाडया भिन्ना सर
लिपि चुलखांदी गंगाडया भिन्ना सर, लिपि चुलखांदी गंगाडया भिन्ना सर !
क्या च तेरा मन क्या सोची क आई,क्या बोलान चांदी गंगाडया भिन्ना सर !!
क्या च तेरा मन क्या सोची क आई,क्या बोलान चांदी गंगाडया भिन्ना सर
क्या बोलान चांदी गंगाडया भिन्ना सर,क्या बोलान चांदी गंगाडया भिन्ना सर
नाच न चडाकी,नाच न चडाकी ,नाच न चडाकी
नाच न चडाकी सलान्याँ सयाली सर,नाच न चडाकी सलान्याँ सयाली सर !
तवे मा मन माया लगौणु आयूं छौ,सांसु नि कै साकी सलान्याँ सयाली सर !!
तवे मा मन माया लगौणु आयूं छौ,सांसु नि कै साकी सलान्याँ सयाली सर
सांसु नि कै साकी सलान्याँ सयाली सर
मैत की नराई,मैत की नराई भै मैत की नराई
मैत की नराई, गंगाडया भिन्ना सर,मैत की नराई, गंगाडया भिन्ना सर !
माया कु नाखरू रोग लग्युं तवे,मैमू नि सराई गंगाडया भिन्ना सर !!
माया कु नाखरू रोग लग्युं तवे,मैमू नि सराई गंगाडया भिन्ना सर
मैमू नि सराई गंगाडया भिन्ना सर
डाला कट्या गेल,डाला कट्या गेल भै डाला कट्या गेल
डाला कट्या गेल,डाला कट्या गेल भै डाला कट्या गेल सलान्याँ सयाली सर !
त्यारा खातिर ज्युणु मरुनु होयुं च,त्वेकू होयुं खेलर सलान्याँ सयाली सर !!
त्यारा खातिर ज्युणु मरुनु होयुं च,त्वेकू होयुं खेल सलान्याँ सयाली सर
त्वेकू होयुं खेल सलान्याँ सयाली सर
जोगटों कु जोग जोगटों कु जोग भै जोगटों कु जोग
जोगटों कु जोग, जोगटों कु जोग गंगाडया भिन्ना सर !
धार प्व़ार गौं मेरु ऐ न जई सर,क्या बोलाला लोग गंगाडया भिन्ना सर !!
धार प्व़ार गौं मेरु ऐ न जई सर,क्या बोलाला लोग गंगाडया भिन्ना सर
,क्या बोलाला लोग गंगाडया भिन्ना सर
ताछिला की ताछ,ताछिला की ताछ भै ताछिला की ताछ
ताछिला की ताछ भै ताछिला की ताछ सलान्याँ सयाली सर !
लोगु की क्या लांदी अफडी बताऊ,त्यारा मन क्या छ सलान्याँ सयाली सर !!
लोगु की क्या लांदी अफडी बताऊ,त्यारा मन क्या छ सलान्याँ सयाली सर
त्यारा मन क्या छ सलान्याँ सयाली सर,त्यारा मन क्या छ सलान्याँ सयाली सर
त्यारा मन क्या छ सलान्याँ सयाली सर
यम यस जाखी
बाटू च सम्यार गंगाडया भिन्ना सर,बाटू च सम्यार गंगाडया भिन्ना सर
केक आयूं होलू मेरा मुलुक सर,मेलु न त्युहार गंगाडया भिन्ना सर!!
न्यूतू न रैबार गंगाडया भिन्ना सर, न्यूतू न रैबार गंगाडया भिन्ना सर
गयुं वाडु बयेंगे सलान्य सयाली सर,गयुं वाडु बयेंगे सलान्य सयाली सर !
बिनसिरी का सेणु मा देखिक तोई मैं सी रहेगी सलान्याँ सयाली सर !!
मैं सी रहेगी सलान्याँ सयाली स,मैं सी रहेगी सलान्याँ सयाली सर
भारी खुद लेगे सलान्याँ सयाली सर,भारी खुद लेगे सलान्याँ सयाली सर
लिपि चुलखांदी लिपि चुलखांदी गंगाडया भिन्ना सर
लिपि चुलखांदी गंगाडया भिन्ना सर, लिपि चुलखांदी गंगाडया भिन्ना सर !
क्या च तेरा मन क्या सोची क आई,क्या बोलान चांदी गंगाडया भिन्ना सर !!
क्या च तेरा मन क्या सोची क आई,क्या बोलान चांदी गंगाडया भिन्ना सर
क्या बोलान चांदी गंगाडया भिन्ना सर,क्या बोलान चांदी गंगाडया भिन्ना सर
नाच न चडाकी,नाच न चडाकी ,नाच न चडाकी
नाच न चडाकी सलान्याँ सयाली सर,नाच न चडाकी सलान्याँ सयाली सर !
तवे मा मन माया लगौणु आयूं छौ,सांसु नि कै साकी सलान्याँ सयाली सर !!
तवे मा मन माया लगौणु आयूं छौ,सांसु नि कै साकी सलान्याँ सयाली सर
सांसु नि कै साकी सलान्याँ सयाली सर
मैत की नराई,मैत की नराई भै मैत की नराई
मैत की नराई, गंगाडया भिन्ना सर,मैत की नराई, गंगाडया भिन्ना सर !
माया कु नाखरू रोग लग्युं तवे,मैमू नि सराई गंगाडया भिन्ना सर !!
माया कु नाखरू रोग लग्युं तवे,मैमू नि सराई गंगाडया भिन्ना सर
मैमू नि सराई गंगाडया भिन्ना सर
डाला कट्या गेल,डाला कट्या गेल भै डाला कट्या गेल
डाला कट्या गेल,डाला कट्या गेल भै डाला कट्या गेल सलान्याँ सयाली सर !
त्यारा खातिर ज्युणु मरुनु होयुं च,त्वेकू होयुं खेलर सलान्याँ सयाली सर !!
त्यारा खातिर ज्युणु मरुनु होयुं च,त्वेकू होयुं खेल सलान्याँ सयाली सर
त्वेकू होयुं खेल सलान्याँ सयाली सर
जोगटों कु जोग जोगटों कु जोग भै जोगटों कु जोग
जोगटों कु जोग, जोगटों कु जोग गंगाडया भिन्ना सर !
धार प्व़ार गौं मेरु ऐ न जई सर,क्या बोलाला लोग गंगाडया भिन्ना सर !!
धार प्व़ार गौं मेरु ऐ न जई सर,क्या बोलाला लोग गंगाडया भिन्ना सर
,क्या बोलाला लोग गंगाडया भिन्ना सर
ताछिला की ताछ,ताछिला की ताछ भै ताछिला की ताछ
ताछिला की ताछ भै ताछिला की ताछ सलान्याँ सयाली सर !
लोगु की क्या लांदी अफडी बताऊ,त्यारा मन क्या छ सलान्याँ सयाली सर !!
लोगु की क्या लांदी अफडी बताऊ,त्यारा मन क्या छ सलान्याँ सयाली सर
त्यारा मन क्या छ सलान्याँ सयाली सर,त्यारा मन क्या छ सलान्याँ सयाली सर
त्यारा मन क्या छ सलान्याँ सयाली सर
यम यस जाखी
ये गाना नेगी जी की नै एल्बम सलान्या सयाली का है बहुत सुन्दर गीत है
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,क्या जाण खेला पार ह्वेगी वा
जकड़ा भितर पट ग्वाड्यीं छई,आखियों बीटी परार ह्वेगी वा
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,काली होली,बिचारी भोली-भाली होली वा
बिच बाजार मा खातेगी,लुकाई बेकार ह्वेगी,लुकाई बेकार ह्वेगी वा
एक चुंगति बदनामी छई,एक चुंगति बदनामी छई,हो हो
पाथि दोन खार कैगी वा अंखियों बीटी परार ह्वेगी वा
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,काली होली,बिचारी भोली-भाली होली वा
सोची घौर-बार बसिगे द्वी गफो कु आधार ह्वेगी वा
राती निचंत ह्वेगी से गयुं,सूबेर धार पार ह्वेगी वा हो हो
राती निचंत ह्वेगी से गयुं,सूबेर धार पार ह्वेगी वा हो हो
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,काली होली,बिचारी भोली-भाली होली वा
घर मा आणि- जाणि बढिगे,लोगो चित्रहार ह्वेगी,लोगो चित्रहार ह्वेगी वा
हांजी चित्रहार ह्वेगी वा
घर बसेक नि साकू केकु,घर बसेक नि साकू केकु हो हो
ब्स्याँ घर खण्डवार कैगी वा,अंखियों बीटी फरार ह्वेगी वा
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,काली होली,बिचारी भोली-भाली होली वा
कैकी निंद लीगी चैन केकु अस्घार लीगी, केकु अस्घार लीगी वा
कुछ न कुछ लीगी सबू बीटी,कुछ न कुछ लीगी सबू बीटी, हो हो
मैं सनी भगार दिगी वा,अंखियों बीटी फरार ह्वेगी वा
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,काली होली,बिचारी भोली-भाली होली वा
माया फेर मा अब नि पौडू,दिल दगडी करार ह्वेगी,दिल दगडी करार ह्वेगी वा
खोली भीतर पौंछि भी छू,खोली भीतर पौंछि भी छू,देली बीटी फरार ह्वेगी वा
देली बीटी फरार ह्वेगी वा ,देली बीटी फरार ह्वेगी वा हो,अंखियों बीटी फरार ह्वेगी वा
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,काली होली,बिचारी भोली-भाली होली वा
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